मेंरा जीवन
मेरा जीवन
✍श्याम सुंदर बंसल
अपनो के ख्वाब को पुरा जो करने गए
देखते ही देखते उम्र हाथों से निकल गए
न सोचा न कुछ अपने लिए कर पाया
अपने मन की किए बीना उम्र बीत गए।
सोचते थे बचपन में बड़े होकर कुछ करना है
दुनिया भर में अपना नाम रोशन करना है
पता न था परिवार की परिस्थिति मजबूर कर देती है
जीवन में आगे जाकर अपनो की खुशी महत्व रखती है ।
दिन बीतने लगे हैं अपने मन की किए
खाया था कभी दोस्तों के साथ अपनी मर्जी का
खेला था हर एक वह खेल अपनी मर्जी का
समय नीकलता गया अपने मन की किए
अपनो का हाथ पकड़ना बाजार में गुमने के डर से
जीद पर अड़ जाना मुझको यह खाना है बोलकर
छोटी छोटी सी बात पर रुठना और अपनो का मनाने आना
उम्र बीत गए अपने मन की जीवन जीए
अपने मन की किए
आज कोई नहीं आता हमको मनाने जब हम रुठ जाते है
आज जब डर लगता है तो कोई दोस्त यह नहीं कहता मै हूं न तेरे साथ
आज भी वह दिन याद है जब हम दोस्ती यारी में सब लुटाने को तैयार थे
दिन बीत रहे हैं उनसे मन भर बात किए
उम्र यो ही ढल रहे अपने मन की किए।
Seema Priyadarshini sahay
17-Aug-2021 05:31 AM
वाह
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मनोज कुमार "MJ"
17-Aug-2021 03:32 AM
काफी बेहतरीन लिख रहे हैं आप लेकिन मुक्तक में भी कविता का रूप दिया जाता है, उम्मीद haia ap समझेंगे
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Adeeba Riyaz
17-Aug-2021 03:31 AM
Good
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